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Thursday, January 23, 2020

गणतंत्र दिवस

जन-जन में भरने जोश नया
गणतंत्र दिवस फिर आया है
भारत माँ का स्वागत करने
ऋतुराज बसंत मुस्काया है।

तीन रंग का पहने तिरंगा
देता विजयी संदेश सदा
धरती अपनी अम्बर अपना
अमर है हमारी अखंडता

बैर भुला दो,भूलो झगड़े
बुझा दो नफ़रत की चिंगारी
कोई छोटा-बड़ा नहीं है
सब अपने हैं बहन-भाई

उठो युवाओं आँखें खोलो
किस पथ आकर खड़े हुए
 कुर्बानी वीरों की याद करो
जो इस धरती पर शहीद हुए

कितनी पीड़ा सही उन्होंने
तब हम जाकर आजाद हुए
भारत की गरिमा के लिए
बच्चे-बूढ़े भी संघर्ष किए

क्या भविष्य को सीख हम देंगे
जब देश जला रहे खुद अपना
मानव का मानव हो साथी
यही शहीदों का था सपना

अपने मन को आज जगालो
हृदय देशप्रेम की ज्वाला हो
मिट जाए अज्ञान का अंधेरा
यही लक्ष्य हमारा सपना हो
***अनुराधा चौहान***

6 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (२६-०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- ५ (चर्चा अंक -३५९२) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    -अनीता सैनी

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. बहुत ही सारगर्भित रचना ...देश और देशवासियों को जगाती सुंदर रचना 🙏🙏🙏

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  4. सुप्रभात,
    आप और आपके परिवार को 71 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।🇮🇳🇮🇳🇮🇳
    जयहिंद.

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  5. क्या भविष्य को सीख हम देंगे
    जब देश जला रहे हम अपना
    मानव का मानव हो साथी
    यही शहीदों का था सपना

    बिलकुल सही कहा सखी ,ओजपूर्ण सृजन ,गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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