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Saturday, March 7, 2020

अनु की कुण्डलियाँ--13

73
पाना
पाना जीवन में अगर,थोड़ा सा सम्मान।
बदले में देना पड़े,छोटो को भी मान।
छोटो को भी मान,तभी खुशियाँ है मिलती।
बंजर सा हो हृदय,कहाँ फिर कलियाँ खिलती।
कहती अनु सुन बात,बड़ों से यह गुण जाना‌।
जिसका मधुर स्वभाव,उसी को है सुख पाना।

74
खोना
खोना पड़ता है कभी,प्यारा कोई साथ।
आँखों में आँसू भरे,मलते रहते हाथ।
मलते रहते हाथ,जरा भी जोर न चलता‌।
किस्मत है बलवान,ठगा हाथों को मलता।
कहती अनु सुन बात,कभी खोकर मत रोना।
जीवन इसका नाम,कभी पाना औ खोना।

75
यादें
यादें धड़कन हैं बनी,दिल में करती वास।
खट्टे-मीठे रूप में,बनती जीवन आस।
बनती जीवन आस,खुले यादों की खिड़की।
होंठों पे मुसकान,कभी दे कड़वी झिड़की।
कहती अनु सुन आज,चलो कुछ ऐसा गा दें।
भूले बीती बात,कभी सताएंँ न यादें।

76
छोटी
छोटी सी है लाडली,छुप-छुप करती शोर।
माँ को आते देख के,भागे घर की ओर।
भागे घर की ओर,चढ़ी दादा की गोदी।
झूठे आँसू आँख,लिपट दादी से रो दी।
कहती अनु यह देख,करे शैतानी खोटी।
नन्ही सबकी जान, बड़ी प्यारी है छोटी।

77
मीठी
मीठी वाणी से मिटे,मनके कड़वे भाव।
मीठी सी मुस्कान से,भरते मनके हर घाव।
भरते मनके घाव,हरे हर पीड़ा तन की।
सुंदर सरल स्वभाव,मिटे हर बाधा मन की।
कहती अनु सब बैठ,भाव की जला अँगीठी।
रिश्तों को दो आँच,भरो सुगंध मन मीठी।

78
बातें
बातों से बातें बने,बने बहाने चार।
बातों से होती सदा,आपस में तकरार।
आपस में तकरार,बिना सच्चाई जाने।
राई बनी पहाड़,कसे इस उस पे ताने।
कहती अनु कर बात,नहीं यह बीते रातें।
बातों से हल ढूँढ,तभी संभलती बातें।
अनुराधा चौहान स्वरचित ✍️

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