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Thursday, March 12, 2020

कोरोना

कोरोना कहता है सबसे,
दूर से करो नमस्कार।
काहे भूले तुम अपने,
पुरखों के दिए संस्कार।

शाकाहारी पदार्थों का,
खूब तुम सेवन करो।
मांसाहार से रखो दूरी,
दूध-दही सेवन करो।
हाथ जोड़ स्वागत करो,
गले लगाना है बेकार।
काहे भूले तुम अपने
पुरखों के दिए संस्कार

कोरोना कहता है सबसे,
दूर से करो नमस्कार।

बाहर से जब घर आना,
हाथ साफ ज़रूर धोना।
स्वच्छता से खाना-पीना,
स्वच्छता समीप रखना।
खूब जलाओ धूप-दीप,
कर्पूर का धुआँ घर द्वार।
काहे भूले तुम अपने
पुरखों के दिए संस्कार

कोरोना कहता है सबसे,
दूर से करो नमस्कार।


सर्दी खाँसी की दवा करो
नाखून रखो हरदम साफ
अनदेखी करने वालों को
कोरोना नहीं करता माफ़
अफवाहों पर ध्यान न देना
यह डराती हैं बेकार
काहे भूले तुम अपने
पुरखों के दिए संस्कार

कोरोना कहता है सबसे
दूर से करो नमस्कार।।
***अनुराधा चौहान*** 

11 comments:

  1. कोरोना कहता है सबसे,
    दूर से करो नमस्कार।

    सच कहा आपने सखी ,शायद कोरोना हमें अपने संस्कारों को याद दिलाने ही आया हैं
    बहुत सुंदर संदेश ,सादर नमन

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  2. अनुराधा दी, करोना ने सच में हमें हमारे संस्कारों की याद दिला दी।

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  3. वाह!!सखी ,बहुत खूब !कोरोना के बहाने ही सही ,अपने संस्कारों को याद तो किया ..।

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  4. वाह !बहना बेहतरीन बहुत ही सुंदर लिखा है आपने
    लाज़वाब 👌👌

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  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17 -3-2020 ) को मन,मानव और मानवता (चर्चा अंक 3643) पर भी होगी,
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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  6. सुंदर प्रस्तुति।

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  7. सजगता और स्वच्छता के लिए जागरूक करती सुन्दर रचना .

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