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Tuesday, July 23, 2019

सिगरेट की सौगात

रोगों से जब घिरे
तब आँखें खुली और आया याद
यह बीमारी नहीं
यह तो सिगरेट की है सौगात 
हीरोगिरी के चक्कर में
बनाते रहे धुंए के छल्ले
लगा मौत का रोग तो
मौत की हो गई बल्ले-बल्ले
धुंए की गिरफ्त में
जकड़कर रह गए
सिगरेट हाथों में पकड़कर रह गए
बड़े बुजुर्गो की सुनी नहीं
जब-तक बीमारी बनी नहीं
रहे तब-तक उड़ाते धुआँ
दांव पर लगाकर
खेलते रहे ज़िंदगी का जुआ 
मौत के कगार पर
ज़िंदगी को हारकर
थके हुए खड़े हो क्यों
शक्ल यूँ उतारकर
यह तोहफा मिला है सिगरेट का
प्यार से स्वीकार लो
सच्चाई समझ में आई हो
ज़िंदगी से निकाल बाहर करो
सिगरेट के कश लगाते रहे
हो जाओगे खुद धुआँ
सिगरेट रहेगी जीती फिर भी
तुम हो जाओगे फना
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

10 comments:

  1. ज्ञानवर्द्धक जानकारी से भरपुर, बहुत ही सुन्दर सृजन प्रिय दी जी
    सादर

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  2. सार्थक सृजन आज के अभिशाप पर गहन चिंतन।

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  3. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  4. ज्ञानवर्धक जानकारी

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २९ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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  6. सिगरेट और स्वास्थ्य पर बहुत ही ज्ञानवर्धक रचना...
    वाह!!!

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