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Wednesday, July 10, 2019

सौभाग्य

 
सौभाग्य
से आती हैं
बेटियाँ घर के आँगन में
खुशियाँ वहीं हैं बसती
बेटियाँ जहाँ हैं चहकती
दुर्भाग्य
है यह उनका
जो कदर न इनकी जाने
बेटों के मोह में फंसे
बंद करते किस्मत के दरवाजे
सौभाग्य
बसे उस घर में
बहुएँ मुस्कुराए जिस घर में
भगवान का होता बास
जहाँ नारी का है सम्मान
दुर्भाग्य
पाँव पसारे
जहाँ लालच भरा हो मन में
दहेज की लालसा में
बेटी सुलगती हो घर में
सौभाग्य
अगर पाना है
सोच को बदल दे
न फर्क कर संतान में
स्त्री को महत्व दे
दुर्भाग्य
मिटे जीवन में
माँ-बाप की कर सेवा
भगवान यह धरती के
आर्शीवाद से मिले मेवा
***अनुराधा चौहान***

5 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11.7.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3393 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  2. भावपूर्ण रचना..

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति सखी सुंदर भावों का सृजन।

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  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति सखी

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