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Wednesday, March 31, 2021

उलझनें


 दीप जो मन के बुझे थे
आज फिर उनको जला लूँ।
घिर न जाए तम घना फिर
रोशनी अंतस जगा लूँ।

तोड़ने बंधन चली अब
भावना की जोर आँधी।
मन घटाएं जोर गरजी
रह गई क्या आस आधी?
नृत्य बूँदों का शुरू है
साज कुछ मैं भी मिला लूँ।
दीप मन के....

गर्जना का शोर सुनकर
याद की गठरी खुली थी।
कुछ बरसती बारिशों में
भीगकर हल्की धुली थी।
आज नयनों से बहे जो
स्वप्न पलकों में छुपा लूँ।
दीप मन के......

चुन रही हूँ पल खुशी के
हार सुंदर इक बनाना।
आस की लौ में चमकता
भीत पर दर्पण पुराना।
भूल के बातें पुरानी 
आज मन को मैं मना लूँ।
दीप मन के.....

भोर की किरणें सुहानी
गा रही हैं गीत अनुपम।
ओस के इन आँसुओं से
भीग किसलय झूमते नम।
सुन हृदय की भावनाएँ
बोल क्या फिर से सुला लूँ?
दीप मन के.....

झूठ की जंजीर जकड़ी
वर्जनाएं बंध तोड़े।
मौन का लावा उफनकर
लीलने हर रीति दोड़े।
प्रश्न कुछ अंतस तड़पते
बोल दूँ या फिर बचा लूँ?
दीप मन के....
©® अनुराधा चौहान'सुधी' ✍️
 चित्र गूगल से साभार

17 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2085...किसी की याद से कितना जुड़ी हैं दीवारें ) पर गुरुवार 01 अप्रैल 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 02-04-2021) को
    "जूही की कली, मिश्री की डली" (चर्चा अंक- 4024)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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  3. मन की भावनाओं को सुन्दर शब्द दिए हैं ... हर छंद मन की पीड़ा कहता हुआ लेकिन मधुरता बरकरार है ... गीत सच ही मन को छू लेने वाला ...

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया संगीता जी

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  4. बहुत शानदार लिखा है आपने
    समय मिले तो मेरा ब्लाग भी पढ़े

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    Replies
    1. हार्दिक आभार प्रीति जी।

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  5. Replies
    1. हार्दिक आभार अमृता जी।

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  6. गर्जना का शोर सुनकर
    याद की गठरी खुली थी।
    कुछ बरसती बारिशों में
    भीगकर हल्की धुली थी।
    आज नयनों से बहे जो
    स्वप्न पलकों में छुपा लूँ।
    दीप मन के......बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
    सादर

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  7. मार्मिक... हृदय को छूती रचना 🌹🙏🌹

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  8. चुन रही हूँ पल खुशी के
    हार सुंदर इक बनाना।
    आस की लौ में चमकता
    भीत पर दर्पण पुराना।
    भूल के बातें पुरानी
    आज मन को मैं मना लूँ।
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब हृदयस्पर्शी गीत।

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  9. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति भरा गीत, हर छंद एक दूसरे से बंधा हुआ मोती की माला जैसा ।

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    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी।

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