दीप जो मन के बुझे थे
आज फिर उनको जला लूँ।
घिर न जाए तम घना फिर
रोशनी अंतस जगा लूँ।
तोड़ने बंधन चली अब
भावना की जोर आँधी।
मन घटाएं जोर गरजी
रह गई क्या आस आधी?
नृत्य बूँदों का शुरू है
साज कुछ मैं भी मिला लूँ।
दीप मन के....
गर्जना का शोर सुनकर
याद की गठरी खुली थी।
कुछ बरसती बारिशों में
भीगकर हल्की धुली थी।
आज नयनों से बहे जो
स्वप्न पलकों में छुपा लूँ।
दीप मन के......
चुन रही हूँ पल खुशी के
हार सुंदर इक बनाना।
आस की लौ में चमकता
भीत पर दर्पण पुराना।
भूल के बातें पुरानी
आज मन को मैं मना लूँ।
दीप मन के.....
भोर की किरणें सुहानी
गा रही हैं गीत अनुपम।
ओस के इन आँसुओं से
भीग किसलय झूमते नम।
सुन हृदय की भावनाएँ
बोल क्या फिर से सुला लूँ?
दीप मन के.....
झूठ की जंजीर जकड़ी
वर्जनाएं बंध तोड़े।
मौन का लावा उफनकर
लीलने हर रीति दोड़े।
प्रश्न कुछ अंतस तड़पते
बोल दूँ या फिर बचा लूँ?
दीप मन के....
©® अनुराधा चौहान'सुधी' ✍️
चित्र गूगल से साभार
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2085...किसी की याद से कितना जुड़ी हैं दीवारें ) पर गुरुवार 01 अप्रैल 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 02-04-2021) को
"जूही की कली, मिश्री की डली" (चर्चा अंक- 4024) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
हार्दिक आभार सखी
Deleteमन की भावनाओं को सुन्दर शब्द दिए हैं ... हर छंद मन की पीड़ा कहता हुआ लेकिन मधुरता बरकरार है ... गीत सच ही मन को छू लेने वाला ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया संगीता जी
Deleteबहुत शानदार लिखा है आपने
ReplyDeleteसमय मिले तो मेरा ब्लाग भी पढ़े
हार्दिक आभार प्रीति जी।
Deleteअनुपम कृति ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार अमृता जी।
Deleteगर्जना का शोर सुनकर
ReplyDeleteयाद की गठरी खुली थी।
कुछ बरसती बारिशों में
भीगकर हल्की धुली थी।
आज नयनों से बहे जो
स्वप्न पलकों में छुपा लूँ।
दीप मन के......बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
सादर
हार्दिक आभार सखी।
Deleteमार्मिक... हृदय को छूती रचना 🌹🙏🌹
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteचुन रही हूँ पल खुशी के
ReplyDeleteहार सुंदर इक बनाना।
आस की लौ में चमकता
भीत पर दर्पण पुराना।
भूल के बातें पुरानी
आज मन को मैं मना लूँ।
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब हृदयस्पर्शी गीत।
हार्दिक आभार सखी।
Deleteबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति भरा गीत, हर छंद एक दूसरे से बंधा हुआ मोती की माला जैसा ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार जिज्ञासा जी।
Delete