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Wednesday, July 7, 2021

मनभावन सावन


 घिरी गगन घनघोर घटाएं,
सावन सुंदर मन भाया।
दादुर मोर पपीहा नाचें,
महिना यह पावन आया।

गूँज उठी हर गली-गली में,
आज सुहानी बम भोले।
काँवड लेकर निकल पड़े हैं,
शिव शंभू की जय बोले‌।

रेशम के धागे में लिपटा,
राखी बंधन यह न्यारा।
भाई जीवन के रिश्तों में,
गहना सबसे यह प्यारा।

गाँव गली में गीत गूँजते,
डाल पड़े सुंदर झूले।
शहरों में यह रीत पुरानी,
प्रीत सभी अपनी भूले।

टपक रहे हैं छप्पर टप-टप,
भीग रही है नव जोड़ी।
नयनों में चंचलता चमके,
गगन तले छतरी छोड़ी।

हरियाली धरती पर बिखरी,
कैसी सुंदर यह माया।
माटी की ले सोंधी खुशबू, 
मेघों का घन है छाया।

रंग समेटे कितने सारे,
मास सुहावन सुख लाया।
त्योहारों की धूम मची जब,
सबका मन है हर्षाया।
*अनुराधा चौहान'सुधी' स्वरचित ✍
चित्र गूगल से साभार

9 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक आभार शिवम् जी

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-07-2021को चर्चा – 4,119 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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  3. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  4. "हरियाली धरती पर बिखरी,
    कैसी सुंदर यह माया।
    माटी की ले सोंधी खुशबू,
    मेघों का घन है छाया।" - आगामी सावन के आगमन के पहले ही सावन का शब्द चित्र ...

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  5. घिरी गगन घनघोर घटाएं,
    सावन सुंदर मन भाया।
    दादुर मोर पपीहा नाचें,
    महिना यह पावन आया।
    आहा…बहुत सुन्दर 👏👏

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  6. वाह लाजबाव सृजन

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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