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Friday, December 24, 2021

प्रीत की आहट

पूछते कुंडल खनक के
साज मन के क्यों बजे।
प्रीत की आहट सुनी क्या
स्वप्न जो नयना सजे?

लाज की लाली निखरकर
ओंठ को छूकर हँसी।
रात की रानी मचलकर
केश वेणी बन कसी।
माँग टीका क्यों दमककर
लाज धीरे से तजे?
पूछते.....

हार की लड़ियाँ मचलती
सुन प्रणय की आज धुन।
रैन आ देहरी पर बैठी
चूड़ियों का साज सुन।
क्यों हृदय की धड़कनों में 
आज शहनाई बजे?
पूछते.....

पायलें फिर से खनककर
हर्ष का पूछे पता
घुँघरुओं का मौन टूटा
देख लहराती लता।
झूमती पुरवाई संग
ले रही चूनर मजे।
पूछते....
*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*
चित्र गूगल से साभार

15 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२५-१२ -२०२१) को
    'रिश्तों के बन्धन'(चर्चा अंक -४२८९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. इस प्रीत की आहाट की बाखूबी खबर ली है आपने ...
    भावपूर्ण रचना है ...

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय।

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  3. वाह! बहुत ही सुंदर सृजन!
    प्रीत का एहसास दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास होता है! 😍

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    1. हार्दिक आभार मनीषा जी।

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  4. प्रीत की आहट!!!पायल की रूनझुन
    वाह!!!!
    बहुत ही मनमोहक लाजवाब नवगीत।

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  5. सुंदर श्रृंगार से सजा नव गीत , सुंदर मानवीकरण, सुंदर व्यंजनाएं।
    बधाई सखी।

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  6. मनमोहक सृजन । अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति।

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  7. मैम नमस्कार ,
    मुझे समझ नहीं आ रहा है कि क्या कहुं मैं ।
    मनमोहक !सुन्दर !भावनात्मक सब तो कह दिया सबने ।
    प्रेम से सराबोर व्याकुल मन को
    संभालने का विफल प्रयास करती
    अपनी प्रीत के इंतजार कि प्रकाष्ठा पर विराम लगाती
    एक भारतीय महिला ।


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    1. आपका हार्दिक आभार ।

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  8. नारी का हर श्रृंगार प्रीत का अटूट बंधन दर्शाता है, आपने रचना में श्रृंगार की सुंदर अभिव्यंजना की है, बहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति अनुराधा जी, बधाई ।

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    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी।

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