चुभी हृदय में बीती बातें
शूल बनी अंतस में जाकर।
शोर मचाती लगी जागने
नीर नयन से पीर बहाकर।
छनकी चूड़ी महका गजरा
आँखों में आ ठहरा सपना।
पलभर को ठिठकी थी धड़कन
घर आया है कोई अपना।
कटी प्याज सी खुशबू यादें
ठहर गई आँखों में आकर।
चुभी हृदय में बीती बातें
शूल बनी अंतस में जाकर।
चुभी हृदय में बीती बातें
शूल बनी अंतस में जाकर।
ढलती साँझ निशा गहराती
आँखों का काजल बहता है।
चाँद गगन में ढलते-ढलते
तेरी ही बातें कहता है।
खुली पोटली निकली यादें
मन के सोए भाव जगाकर।
चुभी हृदय में बीती बातें
शूल बनी अंतस में जाकर।
चुभी हृदय में बीती बातें
शूल बनी अंतस में जाकर।
महक उठी चंपे की कलियाँ
मीठे मन अहसास बहे थे।
खोल पोटली रही देखती
सपने पर में सभी ढहे थे।
हर धड़कन हरपल ये कहती
भूल गया परदेशी जाकर।
चुभी हृदय में बीती बातें
शूल बनी अंतस में जाकर।
चुभी हृदय में बीती बातें
शूल बनी अंतस में जाकर।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
वाह! बहुत सुंदर कविता।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteउत्तम रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया दी
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति सखी
ReplyDeleteमेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं
https://kaminisinha.blogspot.com
जी हार्दिक आभार सखी
Deletehttps://kaminisinha.blogspot.com/2020/04/safar-ke-rochak-kisse.html
ReplyDeleteजी
Deleteकटी प्याज सी खुशबू यादें
ReplyDeleteठहर गई आँखों में आकर।
पतंग जैसी अटकी साँसें
उलझ गई यादों को पाकर।...
बेहतरीन और लाजवाब.. अति सुन्दर नवगीत सृजन ।