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Tuesday, August 7, 2018

शहादत

मातृभूमि का मैं वीर सपूत
अपना हर फर्ज निभा आया
माँ-बाबा तेरा मैं वीर सपूत
तिरंगे में लिपट घर आया हूं
खाली हाथ न लौटा हूं
दुश्मन को मार गिरा आया
धूल चटा धरती की उनको
मातृभूमि को भेंट चढ़ा आया
हुआ मेरा सीना छलनी मगर
मैं रुका नहीं मैं झुका नहीं
गिरा कई बार मगर फिर भी
उठ उठ कर लड़ा हूं मैं
जब तक लहू में गर्मी रही
तब तक दुश्मन से भिड़ा हूं मैं
फिर तिरंगा फहरा आया हूं
मैं जीत कर वापस आया हूं
भाई मेरे हिम्मत रखना
बहना को आज संभाल लेना
जब भी आए रक्षाबंधन
मेरी राखी भी बंधवा लेना
बन लाठी बुढ़ापे की तू
माँ-बाबा को सहारा देना
गर आंख में आंसू तेरे आएं
उनसे उन्हें छुपा लेना
मेरी शहादत पर तू अपने
आंसू मत जाया करना
वीर शहीद था तेरा भाई
इस बात की लाज सदा रखना
कर सीना फौलादी अपना
मुझको आज विदा करदे
तिरंगे में लिपटे मेरे बदन को
तू अपना कांधा दे-दे
भारत माँ के चरणों में
खुद को निसार कर आया हूं
मातृभूमि का में वीर सपूत
तिरंगे में लिपट घर आया हूं
शत् शत् नमन 🙏
***अनुराधा चौहान***

16 comments:

  1. मैं रुका नहीं मैं झुका नहीं
    गिरा कई बार मगर फिर भी
    उठ उठ कर लड़ा हूं मैं
    जब तक लहू में गर्मी रही
    तब तक दुश्मन से भिड़ा हूं मैं
    भिन्न भावाधिक्य रसों से सिंचित उम्दा रचना

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अमित जी

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  3. बहुत सुंदर
    जय भारत जय भारती

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लोकेश जी

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  4. बेहतरीन शहीदों की शहादत को नमन

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  5. मर्मस्पर्शी!!!
    अंदर तक हिला गई सखी आपकी रचना।
    वतन पर जो फना होगा अमर वो नौजवान होगा।
    नमन।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी

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  6. बहुत ही मार्मिक लिखा है आपने आदरणीया उम्दा सजीव चित्रण है आपके शब्दों में

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुप्रिया जी

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  7. नमन है देश के सैनिकों को जिनके कारण भारत का झंडा ऊँचा है ...

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  8. बहुत सुन्दर कलम कि धार🚩🚩वन्देमातरम् 🚩🚩भारतवन्दे

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  9. बेहतरीन रचना ... नमन शहीदों को

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏

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