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Sunday, August 12, 2018

कर्मभूमि

वीरों की यह कर्मभूमि
पावन धरती हिंदुस्तान की
वीर शिवाजी वीर प्रताप की
यह पावन कर्मभूमि
यह जननी पृथ्वीराज चौहान की
कण कण में इसके लहू मिला
आजादी के मतवालों का
दूर दूर तक शोर गूंजता था
आजादी के नारों का
भूल गए सब राजगुरु
सुखदेव भगत की कुर्बानी को
हंसते हंसते फांसी चढ़ गए
हार न उन्होंने मानी थी
आजादी के लिए जिए
आजाद ही वह शहीद हुए
ऐसे चंद्रशेखर आजाद की
कुर्बानी कैसे भूल गए
भुला कर उनके उपकारों को
जब आतंकवादियों के
होते जय जयकारे हैं
कुछ बुद्धिजीवी उठकर
उनकी सुरक्षा में आगे आते हैं
गौतम नानक की पुण्यभूमि में
अब हरदम हिंसा होती है
हर रोज किसी कोने में पड़ी
इक बेटी तड़पती मिलती है
कैसे वो अनदेखा करते
उस विधवा के आंसू को
सुहाग जिसका शहीद हुआ
देशप्रेम की ज्वाला में
नित कोख उजड़ती मांओं
नित सूनी होती राखी है
पर सत्ता के मतवालों को
लाज न बिलकुल आती है
अपने घर से बेघर होते
लोग उन्हें नहीं दिखते हैं
आरक्षण के अजगर
नित प्रतिभाओं को डसते है
चलो जगालें अपने दिल में
देशप्रेम की ज्वाला फिर
संस्कारों से करले सुशोभित
अपने प्यारे भारत को
वीरों की इस कर्मभूमि को
फिर से पावन बनाले हम
जय हिन्द जय भारत
***अनुराधा चौहान***







14 comments:

  1. शानदार जय हिंद

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  2. शानदार रचना!
    शहीदों की शान मे साथ ही सम सामायिक व्यवस्था पर खेद प्रकट करती औज भाव रचना ।

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  3. बहुत सुंदर रचना आदरणिया अनुजा अनुराधा चौहान

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏🙏

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  4. बहुत शानदार रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद नीतू जी

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  5. क्या बात है, बहुत शानदार , अब तो comments भी भड़ गए हैं

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  6. संस्कारों से करले सुशोभित
    अपने प्यारे भारत को
    वीरों की इस कर्मभूमि को
    फिर से पावन बनाले हम
    जय हिन्द जय भारत... सुंदर रचना , जय हिन्द

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  7. बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏

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  8. बहुत शानदार रचना

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद रेवा जी

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