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Thursday, April 4, 2019

यह आँखें

कुछ कहती हैं यह आँखें
भेद खोलती हैं यह आँखें
कभी हँसती कभी रोती
मन की बात बताती आँखें

आँखों आँखों में ही कितने
प्रीत के गीत सुनाती आँखें
कभी हँसती और मुस्काती
दिल का हाल बताती आँखें

मन का दर्पण बनती आँखें
चंचल-सी यह सुंदर आँखें
काजल-सी काली कजरारी
मन को बड़ा लुभाती आँखें

विरहा का दर्द छलकाती
दिल के घाव छुपाती आँखें
प्रिय से कर दिल की बातें
सजनी की शरमाती आँखें

ममता के रस में डूबी
आशीष का रस बरसाती
कभी पैनी नजर बनकर
दिल में गहरे उतर जाती आँँखें
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

20 comments:

  1. अभी कहानी बहुत पड़ी है, क्या-क्या कर जातीं, ये आँखें,
    घायल करतीं, घात लगातीं, कभी खून बरसातीं आँखें.

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    1. जी सही कहा आपने आभार आदरणीय

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  2. आँखों का कमाल आँखें ही जानती हैं ...
    अच्छी रचना है ...

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. बेहतरीन सखी
    सादर

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  4. बहुत खूब प्रिय अनुराधा बहन | आँखों ने दुनिया में क्या ना किया ? मन छिपाता है तो ये आँखें भेद खोल देती हैं | सुंदर रचना | सस्नेह

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    1. सस्नेह आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  5. बहुत बहुत आभार शिवम् जी

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  6. सुन्दर प्रयास । आँखों की दास्ताँ .... शायद अकथ्य है। शब्दों से परे। भावों से जुड़े ।

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  7. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (6-04-2019) को " नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं " (चर्चा अंक-3297) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    अनीता सैनी

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  8. सुन्दर रचना

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  9. धन्यवाद आदरणीय

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  10. 👌 👌 बेहतरीन सृजन अनुराधा जी. बधाई

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  11. बहुत सुंदर रचना

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  12. बहुत खूब ...मंगलकामनाएं !

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