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Thursday, August 2, 2018

ख्वाब है जिंदगी

कुछ ख्वाब बुनती हूं
कुछ ख्वाब लिखती
कुछ ख्वाब अधूरे
आज भी जिंदा है
स्मृति पटल पर
खलल डालते रहते
अंतर्मन में सदा
मैं खुद ही सवाल करती
खुद ही जबाब लिखती
इसे मेरी कहानी समझो
या मेरी कोई कविता
यह ख्वाब है मेरे मन के
बस शब्दों का आकार देती हूं
सोचो तो ख्वाब है जिंदगी
न सोचो तो अधूरा कुछ नहीं
जियो जिंदगी खुल कर
खूबसूरत एहसास के साथ
क्योंकि बड़ी
अनमोल है जिंदगी
आज है तो कल
हाथ से फिसली
जी लो जी भर के
खुद ख्वाब है जिंदगी
***अनुराधा चौहान***

12 comments:

  1. अच्छा आकार दिया है इस ख़्वाब को शब्दों द्वारा ...
    अच्छी रचना ...

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  2. ख्वाब तो ख्वाब होते है
    बेहद लाजवाब होते हैं

    बहुत सुन्दर लिखा आप ने
    मन को भा गई आप की रचना 👌👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार नीतू जी

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  3. वाह वाह खुद ख्वाब है जिंदगी उत्तम...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सुप्रिया जी

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  4. बहुत सुंदर!
    ख्वाबों के ख्वाब चुन दिये
    ज्यों किसी जुलाहे ने तार तार बुन दिये
    अप्रतिम।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी

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  5. यह ख्वाब है मेरे मन के
    बस शब्दों का आकार देती हूं
    सोचो तो ख्वाब है जिंदगी
    न सोचो तो अधूरा कुछ नहीं....
    सच लिखा है आपने। ख्वाब न हों तो जीवन की संकल्पना न हो। शुभकामनाएं।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏

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  6. जी अवश्य आपका बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद साझा करने के लिए

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  7. सोचो तो ख्वाब है जिंदगी
    न सोचो तो अधूरा कुछ नहीं

    waaah.

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