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Saturday, August 4, 2018

मासूम मस्ती

काली घटा छाई
आई रे आई
बरखा रानी आई
बच्चों की शुरू हुई
छुपम छुपाई
मन को भाती
मासूम मस्ती
पानी में तैरती
कागज की कश्ती
नन्हें नन्हें पांवों से
करें पानी में छप छप
लगा कर सिर पर
पत्ते की छतरी
झूमे उनके संग
पवन पुरवाई
दादुर पपीहा ने
अपनी तान सुनाई
पेड़ों ने भी झूम
डालियां हिलाईं
बच्चे भी गाते
छई छप छई
देख मस्त मगन
मासूम मस्ती
याद आ गई
मुझे भी बचपन की
***अनुराधा चौहान***

9 comments:

  1. बच्चों को देख कर मन बचपन में लौट जाता है ...
    अच्छी रचना है ...

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  2. धन्यवाद आदरणीय 🙏

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  3. बारिश की चंचलता और मस्ती का सूंदर चित्रण ...
    अति सुन्दर .

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  4. बचपन की मस्ती का बहुत ही सुंदर चित्रण किया हैं आपने, अनुराधा दी।

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  5. वाह कितनी अनुराग भरी मासूम मस्ती।
    बहुत कोमल नाजुक रचना ।
    अप्रतिम ।

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