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Thursday, March 14, 2019

तेरे सुर मेरे गीत

रंगा हुआ तेरी प्रीत के रंग
तू मेरा फागुन तुझसे ही बसंत
महकाया तूने जीवन मेरा
बस में नहीं दिल यह मेरा

तेरे काले-कजरारे नयना
मुझ पर कर गए जादू 
खोया तेरे ही ख्यालों में
सुध-बुध अपनी मैं खोकर

तेरी पायल की छम-छम
बजती हो कहीं पर सरगम
तेरी चूड़ियों की खनक से
संगीत बना मेरा यह जीवन

मोहिनी सूरत भोली-भाली
बातें तेरी बड़ी जग से निराली
मुझ पर चलाए अपना जादू
अब नहीं रहा मन पर काबू

तन्हाइयों में घिरा था मैं उदास
अकेला था मैं कोई नहीं पास
खुशियों को गया था मैं भूल
तन्हा था तन्हा जीने को मजबूर

पतझड़-सा था मेरा जीवन
तुम आई ज़िंदगी में बहार बनकर
अब जीवन का हर दिन बसंत है
छाए खुशियों के सतरंगी रंग है

खिल गई सपनों की क्यारी
दुनिया लगे बड़ी ही प्यारी
सदियों का यह मिलन लगे
जब से तेरे सुर मेरे गीत बने
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

13 comments:

  1. पतझड़-सा था मेरा जीवन
    तुम आई ज़िंदगी में बहार बनकर
    अब जीवन का हर दिन बसंत है
    छाए खुशियों के सतरंगी रंग है
    वाह!!!!
    बहुत ही लाजवाब भावपूर्ण रचना...

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  2. खिल गई सपनों की क्यारी
    दुनिया लगे बड़ी ही प्यारी
    सदियों का यह मिलन लगे
    जब से तेरे सुर मेरे गीत बने...बहुत ख़ूब सखी

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  4. Replies
    1. हार्दिक आभार ज्योती जी

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  5. वाह !!बहुत खूब ...

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  6. खिल गई सपनों की क्यारी
    दुनिया लगे बड़ी ही प्यारी
    सदियों का यह मिलन लगे
    जब से तेरे सुर मेरे गीत बने।
    बहुत सुंदर सखी समर्पित भावों का सुंदर संगम।।

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  7. सदियों का यह मिलन लगे
    जब से तेरे सुर मेरे गीत बने...बहुत ख़ूब

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