भावों के मोती चुन-चुन के
पाती तेरे नाम लिखी।
चूड़ी,पायल कंगन खनके
जले दीप बिन शाम लिखी।
तरुवर की शाखों से उड़के
आँगन मेरे पात झरे।
दूर गगन में चंदा चमके
तारे जगमग रात करे।
पंथ निहारूँ द्वार खड़ी मैं
एक यही बस काम लिखी।
भावों के मोती......
लता पेड़ से लिपटी जैसे,
वैसे ही यह प्रीत बढ़े।
रोक सके न राह कोई अब,
पल-पल ऊँची रीत चढ़े।
लिख-लिख हारी दिल की बातें,
हृदय नहीं आराम लिखी।
भावों के मोती......
सिंदूरी संध्या बीत चली
चाँद गगन में चढ़ आया।
पीपल पात झूमते डाली
देख अँधेरा गहराया।
दीपक लौ में जले पतंगा
बात यही निष्काम दिखी।
भावों के मोती...
चाँद गगन में चढ़ आया।
पीपल पात झूमते डाली
देख अँधेरा गहराया।
दीपक लौ में जले पतंगा
बात यही निष्काम दिखी।
भावों के मोती...
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय।
Deleteबहुत सुंदर,भावपूर्ण सृजन सखी, सादर नमन
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
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