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Friday, January 22, 2021

शोषण


मत होने दो

शोषण किसी का

मत होने दो भ्रष्टाचार

मानवता की बलि चढ़ाते

यह मानवीय अत्याचार

जगह जगह पे हिंसा होती

निर्बल मरता भूखा

धनवानों पर धन की बारिश 

निर्धन के घर सूखा

जगह-जगह पर

झगड़े लफड़े 

जगह-जगह उत्पाद मचा

मानव ने मानव के लिए

यह कैसा भ्रमजाल रचा

भूख मिटे जन-जन के उदर की

यह सोच कृषक अन्न बोते

सर्दी गर्मी बारिश में भी

जीवन के सुख खोते

आज उन्हीं की बदहाली को

देख ईश्वर रोता

मतलब की सब रोटी सेंके 

कोई साथ न देता

शोर-शराबे भाग-दौड़ में

जीवन बीता जाए

मानवता मानव के भय से

छुपती मुँह छुपाए

©® अनुराधा चौहान'सुधी' स्वरचित 
चित्र गूगल से साभार

 


6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 21 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय।

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  2. अत्यंत प्रभावशाली लेखन एक उधघोष के साथ।
    सादर

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  3. प्रभावशाली निर्भीक लेखन।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय।

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