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Wednesday, January 20, 2021

बसंती रंग


 खिले सरसों खिले टेसू
बहारें मुस्कुराएंगी।
संदेश सुख भरे लेकर
हवाएं खिलखिलाएंगी।

हँसे जगती खिले सबके
बसंती रंग जीवन में।
कुहासे की हटा चादर
बसंत उतरे आँगन में।
खिले हँसके कली कोमल।
लताएं गीत गाएंगी।
खिले सरसों खिले टेसू....

सुनो ऋतुराज जब आए
रंग फागुन संग लाए।
मिटाने रात अब श्यामल
आशा दीप जगमगाए।
नए पल्लव नयी कलियाँ
डाल संग लहराएंगी।
खिले सरसों खिले टेसू....

खिलेंगे मन सभी के फिर 
मिटेगी काल की छाया।
मनाएंगे गले मिलकर
रंग त्योहार फिर आया।
जिए जीवन सभी सुख से
खुशी भी गुनगुनाएंगी।
खिले सरसों खिले टेसू....
©® अनुराधा चौहान स्वरचित ✍️

12 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21.01.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2015...लाख पर्दों में छिपा हो हीरा चमक खो नहीं सकता...) पर गुरुवार 21 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीया दी

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  4. वाह!
    सुंदर सृजन।
    सादर।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  5. वाह!सखी ,सुंदर सृजन ।

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  6. भावपूर्ण सुन्दर गीत ...

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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