जब तक जीवन
चलता जाए
साया साथ न छोड़ें
जाने कितने रूप रंग में
जीवन में रंग जोड़े
पैदा होते ही मिला मुझे
माँ के आंचल का साया
लाड़ प्यार से जिसने
मेरा ज़ीवन है चमकाया
धीरे-धीरे बढ़े हुए तो
पिता बने फिर साया
जीवन की हर
धूप-छांव में मुझको
चलना सिखाया
फिर मिला मुझे जीवन में
साया हमसफ़र का
बड़ा सुहाना बना दिया
सफ़र उसने जीवन का
खुद का साया
साथ तभी तक
जब तक यह जीवन है
साया रूठा जीवन टूटा
साया का भी जीवन है
***अनुराधा चौहान***
बहुत बहुत आभार पम्मी जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना अनुराधा जी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार श्वेता जी
Deleteवाह बहुत सहज सरल अभिव्यक्ति सखी ।
ReplyDeleteअप्रतिम।
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteसचमुच एक साया ही होता हैं जो ताउम्र इंसान का साथ नहीं छोड़ता। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ज्योती जी
Deleteबहुत खूब अनुराधा जी , सच में साए का भी जीवन है
ReplyDeleteजी बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
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