गूंज उठी मधुर शहनाई
सजी चूड़ियां गोरी की कलाई
चल दी गोरी पिया की गली
आंखों में ढेरों सपने लिए
होंठों पर ढेरों नगमे लिए
ओढ़ के प्रीत की चुनरी
मां की लाड़ली दुल्हन बनी
चल दी गोरी पिया की गली
नये रिश्तों में रचने बसने
प्रीत के रंग में खुद को रंगने
शहनाई सा मधुर मिलन हो
ज़ीवन की सुंदर सरगम हो
महक उठी मन की फुलवारी
बाबुल के आंगन की खुशियां चली
चल दी गोरी पिया की गली
जीवन की रीत यह कैसी
छूट गई डगर पीहर की
घड़ी बिछड़ने की अब आई
कानों में चुभने लगी शहनाई
आंखों में ढेरों आंसू लेकर
घर की खुशियां साथ लेकर
भाई-बहन सब पीछे छोड़कर
गूंजती शहनाईयों में
थाम साजन का हाथ चली
चल दी गोरी पिया की गली
***अनुराधा चौहान***
सजी चूड़ियां गोरी की कलाई
चल दी गोरी पिया की गली
आंखों में ढेरों सपने लिए
होंठों पर ढेरों नगमे लिए
ओढ़ के प्रीत की चुनरी
मां की लाड़ली दुल्हन बनी
चल दी गोरी पिया की गली
नये रिश्तों में रचने बसने
प्रीत के रंग में खुद को रंगने
शहनाई सा मधुर मिलन हो
ज़ीवन की सुंदर सरगम हो
महक उठी मन की फुलवारी
बाबुल के आंगन की खुशियां चली
चल दी गोरी पिया की गली
जीवन की रीत यह कैसी
छूट गई डगर पीहर की
घड़ी बिछड़ने की अब आई
कानों में चुभने लगी शहनाई
आंखों में ढेरों आंसू लेकर
घर की खुशियां साथ लेकर
भाई-बहन सब पीछे छोड़कर
गूंजती शहनाईयों में
थाम साजन का हाथ चली
चल दी गोरी पिया की गली
***अनुराधा चौहान***
जीवन की रीत यह कैसी
ReplyDeleteछूट गई डगर पीहर की
घड़ी बिछड़ने की अब आई
कानों में चुभने लगी शहनाई
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।
धन्यवाद ज्योती जी
Deleteबेहतरीन रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद रविन्द्र जी
Deleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 10 दिसम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी
Deleteबहुत सुन्दर अनिता जी!
ReplyDeleteशहनाई की मीठी धुन के बीच मैंने अपनी दोनों बेटियों को विदा किया है. आपने उन लम्हों की यादें ताज़ा करा दीं.
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर सखी एक लड़की की विदाई का सांगोपांग वर्णन लुभा गई आपकी शहनाई ।
ReplyDeleteसुंदर।
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteजीवन की रीत यह कैसी
ReplyDeleteछूट गई डगर पीहर की
घड़ी बिछड़ने की अब आई
कानों में चुभने लगी शहनाई
बहुत लाजवाब...
गूंजती शहनाईयों में
ReplyDeleteथाम साजन का हाथ चली
चल दी गोरी पिया की गली!!
बहुत ही शीतल स्नेह भरी रचना | शहनाई की ये विदाई की धुन हर बेटी की नियति है उसके भावी जीवन की मधुर शुरुआत | सस्नेह |
बहुत बहुत आभार रेनू जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
DeleteAti sunder kavita hamesha ki trah
ReplyDeleteधन्यवाद सारांश
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