आवश्यकता ने हमें
हालातों से लड़ना सिखाया
सपने पूरे करने का
हौसला मन में आया
धीरे-धीरे होने लगे
अविष्कार साधन के
लोगों को जीना आया
मानव जीवन बना संघर्ष को
लोगों को अब समझ आया
नित नए होते अविष्कार
इंसान चाँद तक हो आया
अब दिन दूर नहीं जब
मंगल पर बन जाए आशियाना
हथियारों के होते अविष्कार
दुश्मन डर से थरथराया
आवश्यकता ने हमें
अविष्कार करना सिखाया
अविष्कार ही मानव जीवन में
सुख के लम्हे लेकर आया
पर मानवता प्रथम धर्म हो
हो यह अनोखा अविष्कार
सबसे सुंदर हो जाएगा
फिर सारा संसार
***अनुराधा चौहान***
सुन्दर रचना सखी
ReplyDeleteसादर
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है ...
ReplyDeleteअच्छी रचना ...
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२१ जनवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी
Deleteपहला धर्म मानवता ही होना चाहिए.
ReplyDeleteबहुत खूब.
मानवता होगी तो अविष्कारों का प्रयोग सही से हो पायेगा वरना खात्मा नजदीक है.
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteधन्यवाद सुधा जी
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