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Thursday, January 31, 2019

याद आ गई कहानी

शाम के आगोश में
जाकर सो गया दिनकर
ढल रहा है दिन
घर लौट रहें हैं विहंग
सजनी भी संदेश देने
टटोलती चाँद का मन
झाँक उठा चाँद गगन से
चाँदनी लहराकर आँचल
उतर आई है ज़मीं पर
टाँक दिए कुदरत ने तारे
आसमां के चूनर में
चाँद बन बिंदियाँ
चमक उठा अंबर के माथे
बुजुर्गो की कही हुई
याद आ गई कहानी
जो सुनी थी बचपन में
चाँद पर चरखा चलाती
बैठी रहती है बुढ़िया नानी
***अनुराधा चौहान***

14 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुति सखी

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    1. सस्नेह आभार दीपशिखा जी

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  2. बहुत खूब.... आदरणीया
    सुंदर रचना

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ४ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सहृदय आभार श्वेता जी

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  4. बहुत ही भावपूर्ण लघु रचना प्रिय अनुराधा जी | नानी के चाँद पर चरखा कातने की कहानी कितनी मनभावन थी बचपन में | पर सदैब कहाँ कुछ रहता है ? सस्नेह --

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    1. सत्य कहा आपने समय की धारा में सब किस्से कहानियां बहते चले गए अब तो यादें ही बाकी है
      बहुत बहुत आभार सखी

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  5. बहुत सुंदर रचना ,सादर स्नेह सखी

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  6. बचपन की कहानियों की यादें ....बहुत ही सुन्दर सृजन....

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