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Saturday, July 21, 2018

रहो कुंवारे तुम भईया

पापा मेरा ब्याह करादे
गाड़ी चाहिए चार पहिया
लड़की हो बड़े घर की
साथ में लाए बहुत पैसा
साथ में टीवी एसी होवे
और लाए बहुत गहना
इकलोती माँ बाप की होवे
न बहन हो न भईया
मैं घर मे आराम करूं
वो कमाएं लाखों रुपया
बोले पापा सुनो बेटा जी
फिर न होवे ब्याह तुम्हारा
बदल गया है आज ज़माना
अब लड़की ही पूरा खज़ाना
जो कमाएं लाख रुपया
वो क्यों लाए बहुत रुपया
न बेचो ईमान तुम अपना
खुद कमाओ लाख रुपया
न दहेज दो और न लो
बंद करो ये कुरीतियां
न मैंने दहेज़ है दिया
न में लेऊं बहुत रुपया
बिकने की सोच रखोगे
तो रहो कुंवारे तुम भईया
***अनुराधा चौहान***

8 comments:

  1. वाह बहुत सुन्दर व्यंग भी तंज भी और सीख भी बहुत सुंदर सार्थक लेखन।

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    1. धन्यवाद कुसुम जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए 🙏🙏

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  2. बहुत बढ़िया, सुंदर रचना
    बिकने की सोच रखोगे
    तो रहो कुंवारे तुम भईया...वाह मजा आ गया, बहुत ख़ूब आदरणीया अनुराधा जी👌👌👌👏👏👏

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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  3. बहुत बढ़िया, सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद उमेश जी

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