Followers

Thursday, July 26, 2018

मेरा वतन

माँ तेरे आगोश में सोने को जी चाहता है
कर चला हूं जां फिदा वतन पर
बस तुझसे मिलने को जी चाहता है
आज निकला हूं जिस सफर पर
लौट कर फिर न आऊंगा मैं
जब भी देश पर दुश्मन चढ़ आया है
देश के वीर सपूतों ने मार भगाया है
दुश्मनों का किस्सा तमाम कर आज
 हमने तिरंगा फिर लहराया है
में और मेरे साथियों की यह कुर्बानी
रहेगी याद सबको अपनी जुबानी
अब और कोई आस नहीं बाकी
बस तुझसे मिलने की आस थी बाकी
यह मेरा वतन इसे मेरी जरूरत थी
इसकी रक्षा बेहद जरूरी थी
आज हर फर्ज अदा करता हूं
माँ में तुझे सलाम करता हूं
माँ तूने मुझे जन्म जरूर दिया
फर्ज इस माँ के लिए था सबसे बड़ा
अपनी दोनों माँ को सलाम करता हूं
माँ में तुझसे बहुत प्यार करता हूं
फख्र करना मेरी शहादत पर
मेरे बदन में अपने लहू की रबानी पर
व्यर्थ न होने दी मैंने तेरी कुर्बानी
अब करुं अंतिम सफर की तैयारी
खत्म होता है अब यह यहीं किस्सा
जन्मू जब भी बनूं तेरा हिस्सा
जन्म चाहें जितने भी लूं
हर बार खुद को देश पर वार दूं
वतन पर जां निसार करता हूं
अपने वतन को अंतिम प्रणाम करता हूं
कारगिल विजय दिवस पर सभी देश के वीर शहीदों को शत् शत् नमन 🙏 जय हिन्द 🙏
***अनुराधा चौहान***


7 comments:

  1. जन्मू जब भी बनूं तेरा हिस्सा
    जन्म चाहें जितने भी लूं
    हर बार खुद को देश पर वार दूं
    वतन पर जां निसार करता हूं
    अपने वतन को अंतिम प्रणाम करता हूं
    बहुत ख़ूब... बेहतरीन रचना आदरणीया

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद आदरणीय अमित जी

      Delete
  2. ओजस्वी रचना ...
    सैनिक के मन की बात ... सिल के भाव लिख दिए हैं आपने ...
    लाजवाब रचना ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद आदरणीय दिगंबर जी

      Delete
  3. बेमिसाल रचना
    जय भारत जय भारती

    ReplyDelete
  4. जन्म चाहें जितने भी लूं
    हर बार खुद को देश पर वार दूं
    सैनिकों के मन के भावों को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया है, अनुराधा दी।

    ReplyDelete