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Sunday, July 8, 2018

कैसे गाएं मेघ मल्हार

(चित्र गूगल से संगृहीत)
सखी कैसे गाएं मेघ मल्हार
रिमझिम बरखा की बूंदों से
भीग रहा जग सारा
धानी रंग में रंगी धरा का
सौंदर्य है निराला
कहीं खुशियों की बौछार है
तो विपत पड़ी कहीं भारी है
कहीं बरसती निर्मल मन से
कहीं प्रचंडता जारी है
चमक चमक सौदामिनी गरजे
जाने कितने रिश्ते निगले
जीना हो रहा दुश्वार
सखी कैसे गाएं मेघ मल्हार
प्रचंड वेग से नदियां उफने
पहाड़ गिरे कहीं धरती धसके
जल प्लावन का भीषण नजारा
दाने दाने को जन तरसे
आंखों से बहते अश्रू
करते व्यथा बखान
सखी कैसे गाएं मेघ मल्हार
घर आंगन जलमग्न हो गया
खो गई बच्चों की किलकारी
उजड़ी बगिया की फुलवारी
मच गया हाहाकार
सखी कैसे गाएं मेघ मल्हार
हे बरखा तुम निर्मल बरसो
सबके जीवन में रस भर दो
आए खुशियों की बहार
सब मिल गाएं मेघ मल्हार
***अनुराधा चौहान***

6 comments:

  1. बहुत सुंदर अनुराधा जी सही कहा विपल्व बन जब बरसती सब लील लेती ऐसे मे कैसे सजे होटों पे मेघ मल्हार या कोई भी गीत कोमल भावना और सर्व हित की चाह लिये उत्तम रचना ।

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  2. बहुत खूब 👌👌👌

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  3. सच के कठोर धरातल पर उकेरी उत्कृष्ट रचना

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  4. धन्यवाद आदरणीय

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