मेहंदी भीनी जब महकी
सावन भी पुरजोर झरा।
तीज त्यौहार संग समेटे
खुशियों से ये माह भरा।
राखी रेशम डोर बनाती
नेह भरा है यह नाता।
हर धागे में आस प्यार की
खुश होवे मेरा भ्राता।
बाबुल भेज दियो भैया को
रहे हमेशा प्यार हरा।
मेहंदी भीनी जब महकी
सावन भी पुरजोर झरा।
सावन का जब झूला डोले
सखियाँ गीत सुनाती हैं।
चुहल भरी पीहर की यादें
हरपल बहुत सताती हैं।
रंग-बिरंगी राखी रचती
गाती मंगल गीत जरा।
मेहंदी भीनी जब महकी
सावन भी पुरजोर झरा।
राखी का त्यौहार समेटे
प्यार भरा अद्भुत नाता।
बहन स्नेह की बारिश है
वो बने धूप में छाता।
उजियारा जीवन का भाई
देख ठिठकता तिमिर डरा।
मेहंदी भीनी जब महकी
सावन भी पुरजोर झरा।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
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