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Wednesday, August 12, 2020

मर्यादा के बाँध

विश्वास सदा मन वास करे
आशा के दीप जलाना।
फैलाना जग में उजियारा
अँधियारा दूर भगाना।

कंटक पथ पे वीर चले थे
मन भारत की शान लिए।
कड़ी चुनौती से टकराए
कभी नहीं भयभीत जिए।
अपनी धरती का मान बढ़े
यही राह है दिखलाना।
विश्वास....

वीर सपूतों की जननी ने
पग पग पे संग्राम सहे।
जात पात के झगड़े लेकर
मर्यादा के बाँध ढहे।
जात पात के बंधन तोड़ो
सीख यही है सिखलाना।
विश्वास...

कुंठा मन में वास करे तो
सद्भावों को खाती है।
आपस में मानवता लड़ती
प्रीत खोखली जाती है।
कष्ट सही रोई जब जननी
वीर ढाल बन के आना।
विश्वास...

सदमार्ग पर आगे बढ़ना
निर्बल को संबल देना।
उन्नत भारत की जय गूँजे
सकल विश्व में प्रण लेना।
पाँचजन्य सी शंख नाद कर
वीर भारती बढ़ जाना।
विश्वास....
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार

11 comments:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार(14-08-2020) को "ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो" (चर्चा अंक-3793) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.

    "मीना भारद्वाज"

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  2. आमीन ... आशा और विश्वास के दीप घर घर जालों ....
    देश आगे बढे ...

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. बहुत ही सुंदर रचना जय हिंद जय भारत

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  4. वाह !बहुत ही सुंदर सखी।

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  5. सुंदर प्रस्तुति

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  6. बहुत ही सुंदर,काश ऐसी कोई तकनीक होती तो प्रेम के बीज भी बो दिए जाते,सादर नमन

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